समान मुआवजे की मांग कर धरने पर बैठे किसान

 दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे को जमीन देने वाले किसान एक समान मुआवजे और सर्विस रोड की मांग को लेकर आंदोलन पर उतर आए हैं। बुधवार को बड़ी संख्या में किसान मांगों को लेकर कलक्ट्रेट के बाहर धरने पर बैठे, जिन्हें सपा, बसपा, रालोद, भाकियू (भानु) और कांग्रेस नेताओं का साथ मिला। धरना दे रहे किसानों ने 10 दिसंबर तक मांगे पूरे नहीं होने की स्थिति में 11 दिसंबर से एक्सप्रेस-वे का निर्माण बंद कराने की चेतावनी दी है। साथ ही एलान किया है कि फिर सभी किसान 24 दिसंबर को कमिश्नरी का घेराव करेंगे। उधर, दूसरे पक्ष ने बागपत सांसद सत्यपाल सिंह और मोदीनगर विधायक डॉ. मंजू सिवाच के नेतृत्व में एनएचएआई चेयरमैन से मिलकर समान मुआवजे की मांग रखी।
एनएचएआई ने एक्सप्रेस-वे के चौथे चरण (़डासना-मेरठ) के बीच निर्माण की रफ्तार बढ़ाई तो किसानों ने भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की गति तेज कर दी है। बुधवार को किसान बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्राली लेकर कलक्ट्रेट पहुंचे। सैकड़ों किसानों ने अपनी मांग के समर्थन में आवाज बुलंद की। उन्होंने मांग उठाई कि अधिग्रहण के वक्त डासना व उसके आसपास के किसानों को जो मुआवजा दिया गया है, वहीं मुआवजा अन्य गांवों के किसानों को भी दिया जाना चाहिए। किसान नेता सतपाल चौधरी ने कहा कि डासना आठ हजार प्रति वर्ग मीटर तक का मुआवजा दिया गया है, जबकि करीब 13 गांवों के किसानों को सिर्फ 3500 से चार हजार का मूल्य दिया गया है। यह सीधे तौर पर किसानों के साथ खिलवाड़ है। अमरजीत सिंह बिड्डी ने कहा कि एक्सप्रेस-वे के किनारे किसानों को सर्विस रोड दी जानी चाहिए, लेकिन अब एनएचएआई के अधिकारी कुंडली मारे बैठे हैं। सर्विस रोड न होने से किसानों को अब खेत से घर जाने के लिए कई किमी घूमना पड़ रहा है। दोपहर बाद किसानों की प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वार्ता हुई, जिसमें प्रशासन ने उनकी मांगों को एनएचएआई के सामने रखने का वक्त मांगा। प्रशासन चाहता था कि थोड़ा लंबा वक्त दिया जाए, लेकिन किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वो दो बार पहले भी समय दे चुके हैं। अब लंब समय देने का कोई फायदा नहीं है। एनएचएआई अब जबरदस्ती मकान तोड़ कर जमीन पर कब्जा कर रही है। ऐसे में अब वक्त देने का कोई मतलब नहीं है। इसके बाद दोनों पक्षों में 10 सितंबर तक समय देने पर सहमति बनीं।
जब किसानों ने चढ़ाई कढ़ाई
किसान लंबा आंदोलन करने की तैयारी के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। इसलिए धरने पर बैठे किसानों के भोजन की व्यवस्था की गई थी। किसानों ने स्वयं कढ़ाई चढ़ाकर भोजन की व्यवस्था की। उधर, बड़ी संख्या में किसानों की मौजूदगी के बीच प्रशासनिक अधिकारी सुबह से सुलह की कोशिशों में लगे रहे।
किसानों को मांग पर एकजुट विपक्ष
मुआवजे के मुद्दे पर जुटे किसानों को इस बार विपक्षी दलों का भी साथ मिल गया है। किसानों की मांग पर सभी विपक्षी दल एकजुट होकर उनकी मांग को रख रहे हैं। रालोद सतेंद्र तोमर, अमरजीत सिंह बिड्डी, सपा से जिलाध्यक्ष राशिद मलिक, पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार मुन्नी, राहुल चौधरी, कांग्रेस के निवर्तमान जिलाध्यक्ष हरेंद्र कसाना, पूर्व मंत्री सतीश शर्मा, नरेंद्र भारद्वाज, पूजा चड्डा शामिल हुई। इसके साथ ही किसान नेता सतेंद्र तोमर, डॉ. बबली कसाना, बिजेंद्र यादव, बबली गुर्जर, टीकम नागर, सत्यपाल यादव व बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे।
किसानों का प्रतिनिधिमंडल एनएचएआई के चेयरमैन से मिला
मोदीनगर। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद सत्यपाल सिंह और विधायक डॉ. मंजू सिवाच के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाकर एनएचएआई चेयरमैन डॉ. सुखबीर सिंह सिंधु से मिला। किसानों ने चेयरमैन को बताया कि भूमि अधिग्रहण में भारी अनियमितताएं हुई हैं। एक गांव व एक योजना में ही तीन सर्किल रेट से मुआवजा दिया जा रहा हैै। किसानों ने एक सामान मुआवजा दिलाने की मांग की। डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि एक्सप्रेस-वे के किनारे किसानों को सर्विस रोड भी मिल चाहिए। क्योंकि मौजूदा स्थिति में बहुत से किसान ऐसे हैं, जिनकी जमीन एक्सप्रेस-वे निर्माण के कारण दो हिस्सों में बंट गई है। किसान को एक खेत से दूसरे खेत तक जाने में लंबी दूरी तक चलनी पड़ेगा। सर्विस रोड न होने के कारण वो दूरी अब कहीं ज्यादा है। इसलिए अथॉरिटी एक्सप्रेस-वे के किनारे सर्विस रोड मुहैया कराए। बताया जा रहा है कि डॉ. सुखबीर सिंह सिंधु ने किसानों को कुछ समस्या के समाधान का आश्वासन दिया। किसानों के प्रतिनिधिमंडल में सुधीर चौधरी, मनवीर त्यागी, दलबीर सिंह, कर्म सिंह, विजय बंसल, अमित चौधरी आदि मौजूद रहे। गौरतलब है कि तीन माह से किसान एक समान मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए मोदीनगर तहसील के 13 गांवों की भूमि अधिग्रहीत की गई थी। किसान संघर्ष समिति के बैनर तले किसान एक सामान मुआवजे की मांग करते आ रहे है। किसानों ने लगातार 40 दिन एक्सप्रेस-वे का काम बंद कर कमिश्नरी का घेराव भी किया था।